Shodashi No Further a Mystery

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The day is observed with good reverence, as followers stop by temples, give prayers, and get involved in communal worship situations like darshans and jagratas.

The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological stability, endorsing healing from earlier traumas and internal peace. By chanting this mantra, devotees discover launch from adverse thoughts, creating a balanced and resilient way of thinking that helps them deal with life’s problems gracefully.

कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।

Shiva utilized the ashes, and adjacent mud to once more type Kama. Then, with their yogic powers, they breathed everyday living into Kama in such a way that he was animated and really effective at sadhana. As Kama continued his sadhana, he steadily gained electrical power about others. Absolutely aware with the opportunity for complications, Shiva played together. When Shiva was requested by Kama for the boon to have half of the strength of his adversaries, Shiva granted it.

केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या

प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥

गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।

Goddess Tripura Sundari can also be depicted for a maiden wearing excellent scarlet habiliments, darkish and very long hair flows and is totally adorned with jewels and garlands.

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता Shodashi है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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